Saturday, November 7, 2009

जमाने की चाहत-हास्य हिंदी कविता

सुनते हैं मरते समय

रावण ने राम का नाम जपा

इसलिये पुण्य कमाने के साथ

स्वर्ग और अमरत्व का वरदान पाया।

उसके भक्त भी लेते

राम का नाम पुण्य कमाने के वास्ते,

हृदय में तो बसा है सभी के

सुंदर नारियों को पाने का सपना

चाहते सभी मायावी हो महल अपना

चलते दौलत के साथ शौहरत पाने के रास्ते,

मुख से लेते राम का नाम

हृदय में रावण का वैभव बसता

बगल में चलता उसका साया।

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गरीब और लाचार से

हमदर्दी तो सभी दिखाते हैं

इसलिये ही बनवासी राम भी

सभी को भाते हैं।

उनके नायक होने के गीत गाते हैं।

पर वैभव रावण जैसा हो

इसलिये उसकी राह पर भी जाते हैं।

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पूरा जमाना बस यही चाहे

दूसरे की बेटी सीता जैसी हो

जो राजपाट पति के साथ छोड़कर वन को जाये।

मगर अपनी बेटी कैकयी की तरह राज करे

चाहे दुनियां इधर से उधर हो जाये।

सीता का चरित्र सभी गाते

बहू ऐसी हो हर कोई यही समझाये

पर बेटी को राज करने के गुर भी

हर कोई बताये।

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यह आलेख/हिंदी शायरी मूल रूप से इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका’पर लिखी गयी है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन के लिये अनुमति नहीं है।

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